Friday, 12 May 2017

राधा बाबा सूत्र 1

हम जो कुछ भजन-सेवा कर रहे हैं, उसका नाम तो है `भक्ति' लेकिन कहीं तामसी भक्ति तो नहीं है?

भगवान् बोले – लोग भक्ति करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग तामसी भाव में चले जाते हैं | हिंसा (किसी का ऐश्वर्य नष्ट करना ये हिंसा है, हिंसा माने केवल मारना-पीटना ही नहीं है, किसी की बुराई करना आदि ये सब हिंसा में आता है, पराई निन्दा सुनकर खुश हो जाना, दूसरे के पतन को देखकर के हँसना, ये सब हिंसा है),

दम्भ (दिखावापन, कोई सेठ आया तो माला जोर-जोर से हिलाने लग गए कि वह समझे महाराज बड़े भजनानन्दी महात्मा हैं ये सब दम्भ है | हम जो कर रहे हैं, सब लोग देखेंगे, तारीफ करें हमारी, ये दिखावापन है) और

मात्सर्य (इर्ष्या, किसी की तारीफ हो रही है और हम सह नहीं पाए क्योंकि मत्सरता है | आज एक भक्त दूसरे भक्त को देखकर चिढ़ता है, साधु-साधु को देखकर चिढ़ता है, ये मात्सर्य है)

ये तीन चीजें भक्ति को तामसी बना देती हैं, इसलिए सावधान रहना चाहिए, नहीं तो जितना भी भजन किया, वह किया-कराया सब चौपट हो जाता है | तो ये तीन चीजें भक्ति को तामस बना देती हैं

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