कृष्ण सूर्यप्रकाश के तुल्य
है और जहाँ भी कृष्ण रहते
है वहाँ अंधकार
रुपी माया नहीँ रह
सकती । जब कृष्ण
को वसुदेव ले जा रहे थे , तब
रात्रि का अंधकार दूर
हो गया । कारागार के
बंधन स्वयमेव खुल गये ।
जब वसुदेव ने कृष्ण
को मस्तक पर
पधराया तो सारे बंधन
टूट गये ।
किन्तु जब गोकुल से
कन्या यानी माया को ले
आये तो पुनः बन्धनयुक्त
हो गये ..
अतः माया रुपी बंधन से
बचने हेतु भगवान श्रीकृष्ण
के चरणो को अपने मस्तक
पर धारण करना चाहिए
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