Tuesday, 24 January 2017

भटकना नही है , डुबकी चाहिये , योगानन्द जी

प्रतिदिन आध्यात्मिक पुष्प की तलाश मत कीजिये। बीज बो दीजिये और प्रार्थना एवं सही प्रयास के जल से उसे सींचिये। जब वह अंकुरित हो जाये, तो उसकी देखभाल कीजिये। उसके आसपास उग आने वाली शंका, अनिश्चय, एवं उदासीनता की घास - पात को उखाड़ फेंकते रहिये। किसी सुबह अकस्मात, आप आत्म - साक्षात्कार के अपने चिर - प्रतीक्षित आध्यात्मिक पुष्प के दर्शन करेंगे।

आप स्वयं अपने शत्रु हैं और आप इसे जानते भी नहीं। आप शान्त बैठना नहीं सीखते। आप ईश्वर के लिये समय देना नहीं सीखते। आप अधीर रहते हैं और तुरन्त स्वर्ग को पाने की अपेक्षा करते हैं। इसे आप पुस्तकें पढ़कर या प्रवचनों को सुनकर या लोकोपकारी कार्यों को करके नहीं पा सकते। इसे आप केवल गहरे ध्यान में प्रभु को समय देकर ही प्राप्त कर सकते हैं।

अपनी आध्यात्मिक खोज की शुरुआत में, विभिन्न आध्यात्मिक पथ एवं गुरुओं की तुलना करना बुद्धिमानी है। परन्तु जब आप अपने लिये निर्दिष्ट सद्गुरु को पा लेते हैं, जिनकी शिक्षायें आपको दिव्य लक्ष्य तक पहुँचा सकती हैं, तब वह व्यग्र खोज बन्द हो जानी चाहिये। एक आध्यात्मिक तृष्णा वाले व्यक्ति को अनिश्चित रूप से नये कुओं की खोज नहीं करते रहना चाहिये; बल्कि उसे सबसे अच्छे कुएँ पर जाकर नित्य इसके जीवनदायी जल का पान करना चाहिये।

———श्री श्री परमहंस योगानन्द

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