Sunday, 7 February 2016

रूद्र राधा रहस्य

रूद्र -राधा  रहस्य --
पिछले अंक(कृष्ण -काली रहस्य ) में आपने जाना की किस प्रकार विष्णु की निद्रा रूप से महाकाली का अवतरण हुआ और कैसे कृष्ण अवतार में महाकाली की ऊर्जा कृष्ण  शरीर में प्रवेश  कर गयी थी।
अब जानिए शिव का रहस्य राधा से , जब पार्वती काली रूप में रक्तबीज का वध कर अनियंत्रित गयी तब शिव उनके रस्ते पर लेट गए और काली ने उन  पर पैर रख दिया। पैर रखते ही काली शांत हो  पार्वती  रूप में लौट आई। इसे महापाप समझ कर वो बहुत दुखी हो कर पश्चाताप करने लगी। उनकी उदासी दूर  करने  के लिए शिव ने कैलाश में तांडव नृत्य का आयोजन किया। सभी देवी देवता पधारे। पार्वती को सिंघासन पर विराजित कर शिव ने नृत्य  शुरू किया। विष्णु ने ढोलक बजायी ,ब्रम्हा  मंजीरा और इन्द्र   बासुरी।  गणेशा भी  साथ में नृत्य करने लगे। देखते ही देखते कैलाश में लास्य उत्पन्न हो गया और महारास जैसा अनुभव होने लगा। प्रसन्न महाकाली रुपी पार्वती ने शिव से कहा कि इसी लास्य  और महारास का अनुभव वो एक बार मानव रूप में भी लेना चाहती है और इस महानृत्य को भक्ति का मार्ग बना नए पंथ की  नीव भी डालना चाहती है। तब शिव ने कहा -हे महाकाली जब आपकी ऊर्जा विष्णु के मानव रूप में कृष्ण के साथ होगी तब मै  भी वृषभानु की पुत्री में अपनी ऊर्जा  साथ धरती पर आऊंगा और इस महातांडव नृत्य को लास्य रुपी महारास में  परवर्तित कर संसार में नए भक्ति मार्ग की परम्परा आरम्भ होगी।
तत्पश्चातात  कृष्ण अवतार में महाकाली ऊर्जा रूप में कृष्ण के तन में स्थित हुई  और  रूद्र, राधा के शरीर  स्थापित हो गए। और दोनों ने तांडव के नए संस्करण महारास की स्थापना की।
यही कारन था कि कृष्ण का विवाह  श्री राधा से नहीं हुआ क्योकि वो  रूद्र रूपा  शिव थे। लक्ष्मी ने रुक्मणी रूप में में अवतार लिया और कृष्ण से विवाह किया।  कृष्ण -राधा  वास्तव में हरी -हर रूप है। जहां राधा -कृष्ण की पूजा होती है वहां शिव शिव ,काली और विष्णु  पूजा स्वतः ही हो जाती है। श्री राधा वास्तव में रूद्र रूपा है। और अपने अष्ट भैरव को अष्ट सखी रूप में अपनी सेवा में रखती है।

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