महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Meaning of Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे (Benefits of Mahamrityunjay Mantra)
यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
शिव करुण है ।
उन्हें विनय है कि
पक जाने दीजिये ,
रस और सुगन्ध से
इसका अर्थ , पूर्णज्ञान
और पूर्ण प्रेम का रस
फिर पक स्वयं फ़टे ।
ताकि सुगन्ध रह जाये
रस रह जाएं , कर्कशता
सड़ांध न छूटे ।
रस मय हो कर फटने
से निकली चेतना भी
रसिली हो ।
अज्ञात में यह मन्त्र
भक्ति के अवसर का
विनय है ।
परन्तु इसका प्रयोग ,
पुनः पुनः पुनः भोग
हेतु ही होता है ,
अवसर प्राप्त अगर
मार्कण्डेय होना चाहे
तो शिव तो शिव रहने ही है ।
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