Saturday, 20 February 2016

रहस्य भाव 81

जय श्रीहरिः

अहिल्या अर्थात् बुद्धि ।

मात्र कामसुख का ही विचार करने वाली बुद्धि जड़ पत्थर सी बन जाती है । कोमल बुद्धि ही ईश्वर के पास जा सकती है, जड़ पत्थर सी नही । कोमल बुद्धि ही कृष्ण सेवा मेँ द्रवित हो सकती है । कृष्ण कीर्तन से आज आनन्द नहीँ मिलता क्योँकि काम सुख का चिँतन करते रहने से बुद्धि पत्थर सी हो गयी है । जड़ बुद्धि चेतनमयी कैसे हो सकती है ? जब कोई सदगुरु सन्त महात्मा मिल जाते हैँ तभी । जब किसी पवित्र सन्त की चरण रज पावन करती है तभी पत्थर सी जड़ बुद्धि प्रभु की चरणरज से जागृत चेतनायुक्त बनती है ।

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