> जय श्रीकृष्ण<<<
.,.... देवकी के मृतवत्सा होने का कारण ....
1,. एक बार महर्षि कश्यप यज्ञ कार्य हेतु वरुणदेव की गाय ले आये । यज्ञ कार्य की समाप्ति के बाद वरुणदेव के बहुत याचना करने पर भी उन्होँने उत्तम धेनु वापस नहीँ दी ।
तब उदास मन वाले वरुणदेव ने कश्यप को शाप दे दिया कि
..,...... मानव योनि मेँ जन्म लेकर तुम गोपालक हो जाओ और तुम्हारी दोँनो भार्याएँ भी मानव योनि मे उत्पन्न होकर अत्यन्त दुःखी रहेँ । मेरी गाय के बछडे माता से वियुक्त होकर अति दुःखित हैँ और रो रहेँ है , अतएव पृथ्वीलोक मेँ जन्म लेने पर यह अदिति भी मृतवत्सा होगी तथा कारागर मे रहकर कष्ट भोगना पडेगा ।
2,,.. दक्षप्रजापति की दो पुत्रियाँ दिति एवं अदिति कश्यप मुनि की पत्नियाँ थी ।
अदिति के तेजस्वी पुत्र इन्द्र हुए । तब दिति ने भी महर्षि से तेजस्वी पुत्र की याचना की ..
.,.. तब महर्षि की आज्ञानुसार पयोव्रत नामक उत्तम व्रत करते हुए भूमि शयनादि नियमोँ का पालन करते हुए दुर्बल एवं कृशकाय हो गयी तब इन्द्र अपनी माता के कहने पर दिति की सेवा करते हुए छलपूर्वक उनके गर्भ को सात टुकडो मे काट दिया जब वे गर्भस्थ शिशु रोने लगे तो इन्द्र ने कहा "मा रुद" और पुनः सातो के सात सात टुकडे कर दिये जो 49 मरुत् कहलाए .,...
........ इससे दुःखी होकर दिति ने भी अदिति को शाप दे दिया ..... इन्द्र का राज्य शीघ्र नष्ट हो जाय ....
..... जिस प्रकार पापिनि अदिति ने गुप्त पाप द्वारा मेरा गर्भ गिराया है उसी प्रकार इसके पुत्र भी क्रमशः उत्पन्न होते ही नष्ट हो जायँ ...,
अट्ठाईसवेँ द्वापरयुग मेँ उन्ही शापो के कारण कश्यप वसुदेव ,अदिति देवकी एवं दिति रोहिणी हुईँ ..
Tuesday, 5 December 2017
देवकी के मृतवत्सा होने का कारण
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