♡आँसु एक सहज प्रार्थना है♡
तुम्हें अगर प्रभु का नाम सुनकर आँसु आते हैं, अगर तुम्हें उसके नाम को लेकर आँसु आते हैं तो जिन्दगी के यही पल सार्थक हैं, मंगलदायी हैं । ये पल प्रभु की कृपा हैं, ये पल उसकी करुणा का प्रसाद हैं ।
आँसुओं को रोकना मत, उनको बहने देना, उन आँसुओं में बहुत कुछ कूडा़ कर्कट तुम्हारा बह जाएगा । तुम पीछे तरोताजा अनुभव करोगे । जैसे कि कोई स्नान हो गया हो । आँखों से कंजूसी मत करना, बहने दो इन आँसुओं को, ये आँसु भीतर उठती किसी रसधार की खबर हैं । बस, इतना ख्याल रहे कि इन आँसुओं को अपनी मस्ती जरुर बना लेना । इन आँसुओं को अपना रस, अपना आनन्द बनाना है ।
उस प्रभु के लिए यही तुम्हारी सरल, सहज और निर्मल प्रार्थना है । अगर तुम खुलकर हृदय से उसके लिए रोना सीख लेते हो तो समझो इससे आगे कुछ और नहीं चाहिए, उसको रिझाने के लिए । क्योंकि रोते-रोते ही हँसना आ जाता है । उसके लिए रोना ही सबसे सरल और सबसे सहज साधन है, इसलिए उसको रिझाने के लिए रोओ ।
दरअसल आँसुओं से बड़ी और कोई प्रार्थना नहीं है । इसलिए हृदय पूर्वक रोओ । आँसु निखारेंगे तुम्हें, बुहारेंगे तुम्हें, जो व्यर्थ है वह बाहर निकल जाएगा । जो सार्थक है, निर्मल है, वह स्फटिक मणि की भांति स्वच्छ होकर भीतर जगमगाने लगेगा । *रे मन ! अब तू भी प्रभु नाम में डूब जा ।*
हरि बोल.........😭😭
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