श्रीराम और सीताजी के चरण चिन्ह- - -
चित्र में बताये गए श्रीराम चरण "श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास" द्वारा श्रीराम के वनवास के पथ से एकत्रित मिटटी से बनाये गए है।
श्रीरामचन्द्रजी के चरण में कुल चिन्हों की संख्या 48 बताई गई है । 24 चिन्ह दक्षिण पद में और 24 चिन्ह वाम पद में हैं और जो उनके वामपद में हैं वैसे ही चिन्ह माता सीता के दक्षिण पद में हैं। इसी प्रकार श्रीराम के दक्षिण पद में जो चिन्ह है वैसे ही सीता माता के वाम पद में है।
इन चिन्हों के ध्यान से मन और हृदय और हृदय पवित्र होतेहैं तथा संसारजनित क्लेश, पीड़ा और भयका नाश होता है।
श्रीरामजी के वाम और श्रीसीताजी के दक्षिण पद चिन्ह------
1.सरयू; रंग- श्वेत; अवतार- विरजा-गंगा; इसके ध्यान से कलिमूल (कलह, क्लेश, लड़ाई-झगड़ा,पाप) का नाश होता है।
2.गोपद- रंग- श्वेत-लाल; अवतार-कामधेनु
यह पुण्यप्रद है । प्राणी भवसागर से पार हो जाता है ।
3.भूमि-पृथ्वी; रंग-पीला-लाल; अवतार-कमठ
इसका ध्यान करने से मन में क्षमा भाव बढ़ता है ।
4.कलश; रंग-सुनहरा; अवतार-अमृत
इसका ध्यान भक्ति, जीवनमुक्ति तथा अमरता प्रदान करता है ।
5.पताका/ध्वज; अवतार-विचित्र
इसके ध्यान से मन पवित्र होता है कलि का भय नष्ट होता है ।
6.जम्बू फल; रंग-श्याम; अवतार-गरुड़
इसके ध्यान से पुरुषार्थ की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ण होती है ।
7.अर्ध चन्द्र; उज्ज्वल; अवतार- श्रीवामन
इसके ध्यान सेमन के दोष नष्ट होते हैं । ताप त्रय का नाश होता है ।
8.शंख; रंग- अरुण-श्वेत; अवतार- वेद-हंस-शंख
ध्यानी दंभ-कपट के माया-जाल से छूट जाता है । बुद्धि बढ़ती है ।
9.षट्कोण; रंग-श्वेत-लाल; अवतार-श्रीकार्तिकेय
इसका ध्यान करने से षड्विकार, षट्सम्पत्ति की प्राप्ति होती है ।
10.त्रिकोण; रंग- लाल; अवतार- परशुराम-हयग्रीव
इसके ध्यान से योग की प्राप्ति होती है।
11.गदा; रंग- श्याम; अवतार- महाकाली-गदा
यह दुष्टों का नाश करके ध्यानी को जय दिलाताहै ।
12.जीवात्मा; रंग- प्रकाशमय; अवतार- जीव
इसके ध्यान से शुद्धता बढ़ती है ।
13.बिन्दु; रंग-पीला; अवतार- सूर्य-माया
इसके ध्यान से समस्त पुरुषार्थों की सिद्धि होता है । पाप नष्ट होता है ।
14.शक्ति; रंग- लाल; अवतार- मूल प्रकृति-माँ
इससे श्री, शोभा और सम्पत्ति की उपलब्धि होती है ।
15.सुधाकुण्ड; रंग- श्वेत-लाल
इसके ध्यान से अमृत-अमरता की प्राप्ति होती है ।
16.त्रिवली; यह 3 रंग का होता है- हरा , लाल और सफ़ेद
अवतार-श्री वामन
ध्यानी कर्म, उपासना और ज्ञान से सम्पन्न होता है ।
17.मीन-ध्वजा; रंग-रुपहला
कामदेव की ध्वजा है। वशीकरण है। भगवद्प्रेम की प्राप्ति होती है।
18.पूर्ण चन्द्र
रंग-पूर्ण धवल
अवतार-चन्द्रमा
यह मोह रूपी तम को हरकर तीनों तापों का नाश करता है ।
19.वीणा; रंग-पीला; अवतार- नारद
इसके ध्यान से राग-रागिनी में निपुणाता । भगवद् यशोगान करता है ।
20.वंशी-वेणु; रंग- चित्र-विचित्र; अवतार- महानाद
इसका ध्यान मधुर शब्द से मन मोहित करने में सफलता प्रदान करता है ।
21.धनुष; रंग- हरा-पीला-लाल; अवतार-पिनाक-शारंग; इसके ध्यान से शत्रु का नाश और मृत्यु भय का निवारणहोता है।
22.तुणीर; रंग- चित्र-विचित्र; अवतार- श्रीपरशुरामजी
इसके ध्यान से भगवान् के प्रति संख्य रस बढ़ता है । सप्तभूमि ज्ञान बढ़ाता है ।
23.हंस; रंग- श्वेत-गुलाबी; अवतार- हंसावतार
विवेक-ज्ञान वृद्धि । हंस का ध्यान संतों के लिए सुखद ।
24.चंद्रिका; रंग-सर्वरंगमय
इसके ध्यान से कीर्ति मिलती है।
------------------------------
श्रीरामजी के दक्षिण और श्रीसीताजी के वाम पद चिन्ह- - -
1.ऊर्ध्व रेखा; रंग- अरुण-गुलाबी; अवतार- सनक,सनंदन,सनतकुमार,और सनातन
इस चिन्ह के ध्यान से महायोग की सिद्धि होती है ।
2.स्वास्तिक; रंग- पीला; अवतार- श्री नारदजी
यह मंगलकारक /कल्याणप्रद है ।
3.अष्टकोण; रंग- लाल-श्वेत; अवतार- श्री कपिलदेवजी
यह यंत्र है । इसके ध्यान से अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
4.श्रीलक्ष्मी जी; रंग-गेरुआ; अवतार- श्री लक्ष्मीजी
इसके ध्यान से ऐश्वर्य और समृद्धि मिलती है ।
5.हल; रंग- श्वेत; अवतार- श्री बलरामजी
यह विजयप्रद है । इससे विमल विज्ञान की उपलब्धि होती है ।
6.मूसल; रंग- धूम्र; अवतार- मूसल
इसके ध्यान से शत्रु का नाश होता है ।
7.सर्प/शेष; रंग-श्वेत; अवतार- शेषनाग
ध्यानी को भगवद् भक्ति और शांति की प्राप्ति होती है ।
8.शर-बाण; रंग-श्वेत-पीत;अवतार-बाण
ध्यानी के शत्रु नष्ट होतेहैं ।
9.अम्बर-वस्त्र; रंग- आसमानी; अवतार- श्री वराह
इसका ध्यान भय का नाश, दुख देने वाली जड़तारूपी शीत का हरण करता है।
10.कमल; रंग-लाल-गुलाबी; अवतार- विष्णु-कमल
ध्यानी का यश बढ़ाता है और मन प्रसन्न रखता है ।
11.रथ; रंग-बिरंगी; अवतार- पुष्पक विमान
ध्यानी विशेष पराक्रम से सम्पन्न रहता है ।
12.-वज्र; रंग- विद्युत रंग; अवतार- इन्द्र का वज्र
यह पाप नाशक तथा बलवर्धक है।
13.यव; रंग- श्वेत; अवतार- कुबेर
यह मोक्षप्राप्ति, यज्ञ, सिद्धि, विद्या, सुमति, संपत्ति प्रदाता है ।
14.कल्पवृक्ष; रंग- हरा; अवतार- कल्पवृक्ष
इससे पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। सकल मनोरथ पूर्ण होते हैं ।
15.अंकुश; रंग- श्याम; अवतार- अंकुश
मल नाशक, ज्ञान उत्पादक और मनोनिग्रह प्रदायक है ।
16.ध्वजा; रंग-लाल/विचित्र वर्ण
अवतार- ध्वजा
इससे विजय-कीर्ति की प्राप्ति होती है।
17.मुकुट; रंग-सुनहरा
अवतार- दिव्य भूषण
इसके ध्यान से परम पद मिलता है ।
18.चक्र; स्वर्ण रंग
सुदर्शन चक्र; यह शत्रु का नाश करता है ।
19.सिंहासन; रंग- सुनहरा; अवतार- श्रीराम सिंहासन
यह विजयप्रद है । सम्मान प्रदान करता है ।
20.यम दण्ड;काँसे का रंग; अवतार- धर्मध्वज
यह यातना नाशक और निर्भयता प्रदायक है ।
21.चामर; रंग- श्वेत; अवतार- श्रीहयग्रीव
राज्य-ऐश्वर्यप्रदायक, त्रितापरक्षक, मन में दया भाव उत्पादक है।
22.छत्र; रंग- शुक्ल
अवतार- कल्कि
इसके ध्यान से राज्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। त्रितापों से रक्षा होती है और मन में दयाभाव आता है।
23.नर-पुरुष; रंग- उज्ज्वल; अवतार- दत्तात्रेय
परब्रह्म, भक्ति, शांति और सत्वगुण की प्राप्ति होती है।
24.जयमाला; रंग-बिरंगी; अवतार-जयमाला
भगवद् विग्रह के श्रृंगार तथा उत्सव आदि में प्रीति बढ़ती है ।
-------------------------------