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*श्रीनाथ जी का पान घर*
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पान बीरी अधरामृत के भाव से है
नंदालय में श्री यशोदाजी के भाव से आरोगते है
पान स्नेह का स्वरुप है
चुना श्री चंद्रावली जी के भाव से
कत्था श्री किशोरी जी के भाव से
सुपारी श्री स्वामिनी जी के भाव से
लौंग श्री ललिता जी के भाव से
गुलाबजल श्री यमुना जी के भाव से
इलाइची श्री गोपीजन के भाव से
अन्य सुगन्धित पदार्थ जैसे::--
बरास जायफल आदि वृजभक्तो के भाव से है
कतरनी श्री गोपीजन की तर्जनी और मध्यमा उंगलिया है
इनसे सुधार कर पान सिद्ध किया जाता है
वस्त्र जिससे ढकते और पोछते है वो वस्त्र श्री स्वामिनी जी के पल्ले के भाव से है
पान घरिया श्री स्वामिनी जी के रूप है
अन्य सेवा करने वाले गोपीजन रूप है
ताम्बूल श्री स्वामिनी जी के मुखारविंद के वर्ण के भाव से है
उसे प्रभु सुगंध सहित कपोल के भाव से आरोगते है
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